रविवार, दिसंबर 12, 2004
ज़िन्दगी झन्ट
UP में मेरे कस्बे में जब भी किसी को ये कहना होता था कि उन के साथ कुछ ठीक नहीं चल रहा है तो लोग कहते थे कि ज़िन्दगी झन्ट हो गई है पिछले कुछ दिनों से मेरी ज़िन्दगी भी झन्ट हो गई है मैं काफ़ी depressed महसूस कर रहा था, इस वज़ह से परेशान सा था इसकी कई वज़हें थीं और हैं लेकिन इस वक़्त उन पे ज्यादा खुलासा नहीं कर रहा हूं
वैसे अब मैं काफ़ी ठीक महसूस कर रहा हूं ब्लागिंग का ये नया शौक भी काफ़ी मदद पहुंचा रहा है बीच बीच में टेनिस भी खेलता रहता हूं आफ़िस के काम मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता लेकिन क्या करे आजीविका के लिये पैसों का यही एकमात्र स्रोत है
वैसे अब मैं काफ़ी ठीक महसूस कर रहा हूं ब्लागिंग का ये नया शौक भी काफ़ी मदद पहुंचा रहा है बीच बीच में टेनिस भी खेलता रहता हूं आफ़िस के काम मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता लेकिन क्या करे आजीविका के लिये पैसों का यही एकमात्र स्रोत है
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अब क्या हाल हैं जिंदगी के?टनाटन चल रही है?कौन से कस्बे के रहने वाले है यूपी में?हमारे एक दोस्त शायर वज़ीर अंजुम लिखते हैं:-
मैं अपना सब गम भुला तो दूं लेकिन, कोई अपना मुझे कहे तो सही
हादसे राह भूल जायेंगे कोई मेरे साथ चले चले तो सही.
तो आओ चलो साथ.स्वागत हिंदी ब्लाग बिरादरी में.
मैं अपना सब गम भुला तो दूं लेकिन, कोई अपना मुझे कहे तो सही
हादसे राह भूल जायेंगे कोई मेरे साथ चले चले तो सही.
तो आओ चलो साथ.स्वागत हिंदी ब्लाग बिरादरी में.
शुक्लाजी,
आपके दोस्ताना कमेन्टस पढ़ के बहुत अच्छा महसूस हुआ. ज़िन्दगी फिर से सही हो रही है.हिन्दी ब्लागिंग बिरादरी का नया सदस्य बन के बड़ी ख़ुशी महसूस हो रही है.
- रमन
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आपके दोस्ताना कमेन्टस पढ़ के बहुत अच्छा महसूस हुआ. ज़िन्दगी फिर से सही हो रही है.हिन्दी ब्लागिंग बिरादरी का नया सदस्य बन के बड़ी ख़ुशी महसूस हो रही है.
- रमन
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