गुरुवार, फ़रवरी 24, 2005
अनुगूँज ६ - शरीर और आत्मा का मिलन

भूत-प्रेत, जादूटोना, ज्योतिष और तरह तरह की चमत्कारिक चीजों के बारे मे जानने और सुनने की मुझे हमेशा उत्सुकता रही है. इन विषयों पर अच्छी किताबें पढ़ना और लोगों से सुनना मुझे हमेशा अच्छा लगता है. जैसे इस बार की अनुगूँज मे जीतू भाई का सच्चा किस्सा पढ़ के बहुत ही आश्चर्य हुआ.
वैसे मेरा अपना कोई भी अनुभव नहीं है, जिसे चमत्कार की श्रेणी में डाला जा सके. लेकिन दूसरों से सुनी सुनाई बातों के बारे में जरूर लिख सकता हूं. आपने ओशो रजनीश का नाम तो सुना ही होगा जोकि एक तरफ़ काफ़ी पहुँचे हुये दार्शनिक माने गये हैं तो दूसरी तरफ़ काफ़ी विवादों में घिरे और बदनाम रहे हैं. उन्हीं की मुँहज़बानी उनके कैसेट में सुना ये किस्सा याद आ रहा है.
एक बार वो पेड़ के ऊपर काफी देर से ध्यानमग्न थे और जब बहुत ज्यादा गहरे ध्यान की स्थति में थे तो अचानक उनका शरीर पेड़ से गिर गया. उन्होने लिखा है कि उस छण में उनका शरीर उनकी आत्मा से अलग हो गया था. अब उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि इन दोनों का आपस में मिलन कैसे होगा तो उन्होने लिखा है कि कुछ देर में वहां से एक ग्रामीण औरत निकली और उसने उन्हें मरा हुआ समझकर छुआ, इससे उनके शरीर और आत्मा का पुनर्मिलन हो गया. उनकी बातों के अनुसार पुरूष शरीर में मादा स्पर्श से ऐसा संभव है और इसके विपरीत मादा शरीर में पुरूष स्पर्श से.
उन्होंने आगे ये भी बताया है कि बाद में फिर कुछ और दफ़ा भी उन्होने यही घटना दोहराई. ऐसा कुछेक बार करने के बाद उन्होंने ये भी महसूस किया कि उनके शरीर का तालमेल बिगड़ गया है. बहरहाल इसमें कितना सच है, ये कहना तो बहुत मुश्किल है लेकिन अगर ये सचमुच सच है तो ये वाकई बहुत बड़ा चमत्कार है.